आरक्षण की सुविधा से महरूम श्रृंग्वेरपुर धाम का रेलवे स्टेशन
रोजाना एक हजार से अधिक यात्रियों का होता है आवागमन
एक दशक पूर्व बने शौचालय में आज तक नहीं लगीं टोंटियां
श्रृंग्वेरपुर धाम. हर क्षेत्र में हाईटेक हो रहे रेलवे से इस तरह की उपेक्षा की उम्मीद कम से कम पौराणिक स्थल श्रृंग्वेरपुर धाम के लिए नहीं थी। इस ऐतिहासिक और पौराणिक स्थल को दरकिनार कर दें, तब भी स्टेशन पर पीने का पानी और शौचालय तो होना ही चाहिए, लेकिन यहां पर तो अतिआवश्यक सुविधा का भी अभाव बना हुआ है। यह स्थिति तब है, जब यहां से हजार से अधिक यात्रियों का आवागमन रोजाना होता है।
प्रयागराज और सूबे की राजधानी लखनऊ रेलखंड पर स्थित यह स्टेशन काफी पुराना है। कहने के लिए यहां पर सभी प्रमुख गाड़ियों का ठहराव है। व्यावसायिक कस्बा होने के नाते रोजाना सैकड़ों लोग यहां से लखनऊ, कानपुर और प्रयागराज का सफर तय करते हैं। बावजूद इसके यहां पर न तो आरक्षण की सुविधा है और न ही मूलभूत सुविधाओं की। प्लेटफार्म संख्या दो पर अभी तक न तो टीनशेड लगाया गया और न ही बैठने के लिए कुर्सियां स्थापित की गईं।
व्यस्त रहने वाले इस रेलरूट पर प्लेटफार्म संख्या दो सिर्फ नाम का ही प्लेटफार्म है, क्योंकि इसकी ऊंचाई अभी भी उतनी नहीं है कि लोग आसानी से उतर सकें और अपना सामान गाड़ी पर चढ़ा सकें। हालांकि, ऐसा कम ही होता है कि लोगों को प्लेटफार्म संख्या दो पर उतरना और चढ़ना पड़े, फिर भी कभी कभी ऐसा हो जाता है कि यहां पर एक साथ दो गाड़ियों का आवागमन हो जाता है।
प्लेटफार्म संख्या एक पर स्थित टीनशेड के अंदर बैठने की व्यवस्था जरूर है, लेकिन टीनशेड के बाहर वाले एरिया में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। स्थाई रूप से जो कुर्सियां पहले बनाई गई थीं, वह पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गई हैं।

अभी तक नहीं मिला शौचालय
श्रृंग्वेरपुर धाम पर लगभग एक दशक पूर्व शौचालय का निर्माण शुरू करवाया गया था, जो धरातल पर अभी तक अधूरा है। हो सकता है कागज में पूरा हो गया हो। इसमें अभी तक न तो बिजली की व्यवस्था की गई और न ही पानी की। इस वजह से यह शौचालय अभी तक निष्प्रयोज्य पड़ा है। इसके अतिरिक्त एक दूसरा शौचालय स्टेशन के बाहर बनाया गया है। एनयूपीपीएल योजना के तहत बने इस शौचालय में साल के बारहों महीने ताला बंद रहता है।
पड़ोसी जिले वाले भी आते हैं ट्रेन पकड़ने
प्रयागराज-प्रतापगढ़ के समीप स्थित श्रृंग्वेरपुर धाम रेलवे स्टेशन से लोगबाग लखनऊ, कानपुर, अंबाला कैंट, चंडीगढ़, दिल्ली, मुरादाबाद, मेरठ, सहारनपुर, कानपुर, पीलीभीत, शक्तिनगर, सोनभद्र, चोपन, विंध्याचल आदि स्थलों के लिए गाड़ियां पकड़ते हैं। इसके अलावा यहां से प्रयागराज जनपद के अलावा समीपवर्ती जनपद प्रतापगढ़ के जेठवारा, बाघराय, बिहार, भिटारा, नवाबगंज, मंसूराबाद, किलहनापुर, हीरागंज आदि से यात्री ट्रेन पकड़ने के लिए आते हैं।

पार्किंग न तो सीसीटीवी का इंतजाम
व्यावसायिक कस्बा श्रृंग्वेरपुर में स्थित इस ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा का भी कोई ध्यान नहीं रखा गया है। यहां पर वाहन पार्किंग के लिए कोई इंतजाम नहीं है। अधिकतर समय सांझ ढलते ही यहां अंधेरा छा जाता है। कुछेक लाइट्स से यह आभास जरूर होता है कि यह स्टेशन है। इसके अतिरिक्त स्टेशन परिसर के आसपास रातभर अंधेरा पसरा रहता है, जिससे रात के समय यात्रियों को आने और जाने में असुविधा का सामना करना पड़ता है।
24 घंटे में गुजरती हैं 32 गाड़ियां
लखनऊ रेलखंड पर स्थित इस स्टेशन से 24 घंटे के दरम्यान कुल 32 रेलगाड़ियों (अप एंड डाउन) का आवागमन होता है। इसमें से राजधानी को जाने वाली त्रिवेणी एक्सप्रेस, गंगा गोमती एक्सप्रेस, लखनऊ इंटरसिटी, कानपुर पैसेंजर के अलावा लंबी दूरी की नौचंदी एक्सप्रेस, ऊंचाहार एक्सप्रेस, वंदे भारत, बरेली एक्सप्रेस आदि शामिल हैं। इसके अलावा रोजाना दर्जनभर से अधिक मालगाड़ियां भी इस रूट से गुजरती हैं। गाड़ियों के दबाव के कारण स्टेशन के समीप ही स्थित रेलवे क्रासिंग भी कभी-कभी जाम का कारण बन जाती है।